अंधापन वास्तुदोषों की वजह से भी हो सकता हैं _डॉ भूपेन्द्र वास्तुशास्त्री
होशियारपुर/दलजीत अजनोहा
आपके भवन की एक एक ईट आपके सफलता या विफलता की कहानी बयां करती हैं अगर सही निर्माण है तो हमारी सोच, बुद्धि, शारीरिक क्षमता सभी अनुकूल होगी और निर्माण ही ग़लत है तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव मन मस्तिष्क में इस प्रकार से हावी हो जाता है कि व्यक्ति के साथ शारीरिक दुर्बलता, रोग, कलह, क्लेश, धन हानि, अकस्मात दुर्घटना या मरण तुल्य कष्टों से दुःखी ही रहता हैं ऐसा मानना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवम लेखक डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का। भवन हमारी सुरक्षा की पहली पायदान होता है लेकिन पूर्व दिशा दूषित है तो वहां पर रहने वाले व्यक्तियो को आंखों की बीमारी का सामना करना पड़ सकता हैं। पूर्व दिशा के साथ ईशान कोण में गंभीर वास्तुदोष है, ब्रह्म इकाई दूषित है पूर्व दिशा कटी हुई है, सीखी पद पर भारी निर्माण, दिती, अदिति पूर्ण दोष युक्त होने के साथ शयन तिर्यक रेखा पर हो ओर नेरीतय कोण भी पूर्ण दूषित हो तो ऐसे घरों में आंखों से अंधा होना कोई बड़ी बात नहीं है, चाहे उसकी रोशनी किसी भी कारण गई हो प्रभाव वास्तु का ही होता है। इन दोषों में भवन की ऊंचाई, शौचालय , सीढ़िए, द्वार,रंग, पेड़ पौधे ,रोशनी किस दिशा से आ रही है ये भी अध्ययन का विषय बन जाता हैं।
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