ਭੋਗ ਤੇ ਵਿਸੇਸ਼ - ਸੁਭਦੀਪ ਸਿੰਘ (ਸਿੱਧੂ ਮੂਸੇਵਾਲਾ)
भोग पर विशेष - महरूम गायक सुभदीप सिंह (सिद्धू मूसेवाला)
पगड़ी से प्यार करने वाले जोशीले युवक थे सिद्धू मूसे वाला
कोई ना कोई कला सबके अंदर छिपी होती है, जो लोग उस कला को पहचान लेते हैं, उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो जाता है। एक ऐसा नाम जिसकी असमय मौत हो गई और सभी को रुला दिया। वह मूसे वाला के महरूम लोक गायक सुभदीप सिंह सिद्धू मूसे वाला थे। सिद्धू का जन्म 11 जून 1993 को मानसा के छोटे से गाँव मूसा पिता बलकार सिंह के यहाँ हुआ था। शुभदीप सिंह सिद्धू मूसेवाला पर 29 मई की शाम को हमला कर दिया गया जिस में वह युवावस्था में ही हमे अलविदा कह गए । महज कुछ सालो की अपनी गायिकी व संगीत यात्रा में, उन्होंने पंजाबी संगीत को उन ऊंचाइयों पर पहुंचाया जिस पर देश विदेश के हर पंजाबी और भारतीय को उनके जाने के बाद सिद्धू मूसेवाला पर गर्व है। दुनिया भर के सैकड़ों देशों में उनके प्रशंसक हैं। सरहंदो की राखी करने वाले फौजी पिता के घर पैदा हुए 6 फुट लंबे पंजाबी गायक सिद्धू मूसा वाले की मौत की खबर ने शायद दुनिया को हिला कर रख दिया है।दुनिया भर में उनके प्रेमियों ने न केवल उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त किया है बल्कि उनकी आंखों में आंसू आंसू भी बहाए,वह अपने काम और मेहनत से आगे और आगे बढ़ते ही जा रहे थे। उनके निधन के बाद लोगों को उनकी प्रतिभा और व्यक्तित्व के बारे में पता चला। सिद्धू से प्यार करने वाले लोग दुनिया के हर देश में रहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा सहित विश्व प्रसिद्ध के गायकों और रैपरों ने उनकी मृत्यु पर आंसू बहाए और उन्हें रोते रोते श्रद्धांजलि दी। हम सभी ने कबड्डी के मैदान पर खिलाड़ियों को अक्सर अपनी जांघों पर हाथ रखकर ताली बजाते देखा है, लेकिन यह सिद्धू मूसेवाला थे जो मंच पर ताली बजाकर पंजाबियों के उत्थान और उत्साह का समर्थन करने वाले दुनिया के इतिहास में पहले गायक थे। जब सिद्धू के शव का अंतिम संस्कार किया जा रहा था और उनके पिता ने संगीत सुनने वालों और प्रशंसकों की एक भीड़ को देखा जो उनके बेटे को श्रद्धांजलि देने आए थे, तो उन्होंने अपने बेटे सिद्धू की तरह जांघ पर थप्पड़ मारा और अपने बेटे को विदाई दी और अपने सिर से पगड़ी उतार कर लोगो का शुक्रिया किया दी। उन्होंने उन लोगों को भी धन्यवाद दिया जो अपने पसंदीदा गायक के परिवार के साथ मुश्किल समय में खड़े हैं।सिद्धू ने युवाओं के लिए एक आदर्श के रूप में रोल मॉडल रहे थ, जो ऊंचाइयों से उठ कर भी पृथ्वी से जुडे रहे, नहीं तो इस मुकाम पर पहुंचकर कौन कनाडा जैसे देश को छोड़कर गांव लौटेगा और ट्रैक्टर पर बैठे लोगों के साथ फोटो खिंचवाकर खेतों में काम करेगा। वह शोहरत के इतने बड़े मुकाम को हासिल करने के बाद वी मुसेवला गांव के छोटे से गोल गप्पे वाले से गोल गप्पे खाते रहे नही तो एक आम युवक को कोई नौकरी वी मिल जाए तो उने अपने से छोटे काम वाले से कथित गिन आने लगती हैं और वह अच्छे रेस्टोरेंट में ही जाना पसंद करते हैं पर इस नो जवान सिद्धू मुसेवाला ने हमेशा इंसानियत को तरजीह दी और किसी को छोटा नही समझा इस लिए ही आज वह सदैव सदैव के लिए अमर हो गए।
पूरे मन और दिल से पगड़ी पसंद करने वाले सिद्धू युवाओं से पगड़ी सजाने को कहते थे। अपने क्षेत्र की बात करें तो वह खुद को 'पहाड़ियों का पुत्र' कहते थे, लेकिन वास्तव में वे मनसा के ही नहीं बल्कि पूरे पंजाब के पुत्र थे। जो गलत तत्वों की गोलियों का शिकार हुआ और हमेशा के लिए मर कर भी सभी के दिल में अमर हो गया। सिद्धू पंजाब के पुत्र थे, जिन्होंने अपने पेशे के अलावा, अपनी सरदारी व पगड़ी को संभाल कर रखा और दुनिया भर में पगड़ी की प्रतिष्ठा बढ़ाई। वह हमेशा लोगों के दिलों में अमर रहेंगे और संगीत की दुनिया में यह "लीजेंड " को सदेव याद किया जाएगा। कल 08 जून, 2022 को अनाज मंडी मानसा में इस महरूम गायक की अंतिम अरदास हैं और सिद्धू मुसेवाला को चाहने वाले श्रद्धा के फूल भेट करेगे।
विन्रम श्रदांजलि
डॉ राकेश पुंज
केशव वरदान पुंज
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