श्री रणकेश्वर धाम पहुंची पंजाब मुखमंत्री की पत्नी, शिवरात्रि के मौके पर AAP सांसद राघव चड्डा और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने भी किया जलाभिषेक । ट्राइडेंट ग्रुप के सस्थापक पदमश्री राजिंदर गुप्ता ने दिया था न्योता ।
केशव वरदान पुंज
डा राकेश पुंज
बरनाला पंजाब
श्री महाशिवरात्रि पर शनिवार को पंजाब CM भगवंत मान की पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर ने श्रीरणकेश्वर धाम पहुंचकर शिव मंदिर में माथा टेका। इस दौरान पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा भी उनके साथ थे।
महाशिवरात्रि के मौके पर शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की धर्मपत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने पंजाब के प्राचीन मंदिर श्रीरणकेश्वर धाम में माथा टेका। इस मंदिर को द्वापर युग का बताया जाता है और यह संगरूर जिले के धूरी इलाके में है।
मान्यता है कि इस स्थान पर महाभारत युद्ध से पहले भगवान महादेव को खुश करने के लिए तपस्या की गई। यहीं पर भगवान शिव ने प्रकट होकर पांडवों को दिव्यास्त्र दिए थे।
राघव चड्ढा का श्रीरणकेश्वर धाम पहुंचने पर ट्राइडेंट ग्रुप के संस्थापक और पंजाब प्रदेश योजना बोर्ड के वाइस चेयरमैन पद्मश्री राजेंद्र गुप्ता ने स्वागत किया। इस मौके पर राघव चड्ढा ने कहा कि वह विश्व शांति की प्रार्थना के लिए इस ऐतिहासिक मंदिर में आए हैं। इस मौके पर संगरूर और बरनाला जिलों के SSP समेत बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।
श्री रणकेश्वर धाम पहुंचे आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा। उनका स्वागत ट्राइडेंट ग्रुप के संस्थापक और पंजाब प्रदेश योजना बोर्ड के वाइस चेयरमैन पद्मश्री राजेंद्र गुप्ता ने किया।
यहीं की गई महाभारत युद्ध की व्यूह रचना
कहा जाता है कि श्री रणकेश्वर महादेव शिव मंदिर ही वह जगह है जहां कौरवों की ओर से पांडवों को सूई की नोक बराबर जगह देने से इनकार किए जाने के बाद महाभारत युद्ध की व्यूह रचना रची गई। मान्यता है कि कौरवों और पांडवों के बीच सुलह के तमाम प्रयास विफल होने के बाद पांडवों ने इसी जगह पर सात अक्षौणी सेना एकत्रित की थी। महाभारत युद्ध से पहले यहीं पर पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। इसके चलते ही इस स्थल का नाम रणकेश्वर महादेव शिव मंदिर पड़ा।
अर्जुन की तपस्या पर प्रकट हुए शिव
मान्यता है कि श्री रणकेश्वर महादेव शिव मंदिर का नामकरण 'रण' यानि युद्ध और 'केशव' यानि भगवान कृष्ण के यहां युद्ध की व्यूह रचना बनाए जाने से पड़ा। यह भी कहा जाता है कि पांडु पुत्र अर्जुन ने यहीं पर भगवान शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। अर्जुन की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने खुद यहां प्रकट होकर अर्जुन से वर मांगने को कहा। तब अर्जुन ने भगवान शिव से कहा था कि वह उन्हें कोई ऐसा शस्त्र प्रदान करें जिसका दुनियाभर में कोई सानी न हो।
कहा जाता है कि उसके बाद ही भगवान शिव ने अर्जुन को यहीं पर गांडीव धनुष दिया था।
सदियों पुराना शिवलिंग, 360 तीर्थ का पानी
लगभग 400 साल पहले पटियाला के राजा नैनूमल की इस जगह के प्रति बहुत श्रद्धा थी। तब उन्होंने यहीं पर पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की आराधना की। पुत्र प्राप्ति के बाद राजा नैनूमल ने ही यहां पर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। समय के साथ-साथ अनेक तपस्वी जैसे महन्त चंदन गिरी महाराज, महन्त सोमगिरी महाराज ने यहां तपस्या की। तपस्वी दूधाहारी इलायची गिरी महाराज ने पैदलयात्रा करके 360 तीर्थों का जल एकत्रकर यहां बने कुंए में डलवाया था ।
आपको बता दे के ट्राइडेंट ग्रुप के सस्थापक पदमश्री राजिंदर गुप्ता मौजूदा समय में मंदिर का जिनोद्वार करवा रहे है , पदमश्री राजिंदर गुप्ता पैदल जा कर ही भगवान भोले नाथ श्री रंकेश्वर महादेव का जलाभिषेक करते हैं।
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