"आदि धर्म ने धार्मिक और सामाजिक न्याय की नींव मजबूत की" – संत सतविंदर हीरा
होशियारपुर/दलजीत अजनोहा:
ऑल इंडिया आदि धर्म मिशन (रजि.) भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत सतविंदर हीरा ने अपने विदेश दौरे के दौरान आदि धर्म मिशन के समन्वयकों, अनुयायियों और मिशनरी सदस्यों से विशेष मुलाकातें कीं और आदि धर्म आंदोलन की वैश्विक चर्चा और महत्व पर विचार साझा किए। उन्होंने लंदन में आदि धर्म मिशन के प्रमुख समर्थक अमरजीत गुरु के निवास स्थान पर संगत के साथ संवाद किया और उन्हें आदि धर्म से संबंधित पुस्तकें भेंट कीं।
संत सतविंदर हीरा ने "मन चंगा तो कठौती में गंगा" का उल्लेख करते हुए कहा कि संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज का यह अमृत वचन सदियों से भारतीय समाज को रोशन करता आ रहा है, लेकिन यह रोशनी उन्हें ही मिलती है जिनकी आंखें खुली हों और जिन्हें सामाजिक सरोकारों की समझ हो।
उन्होंने कहा कि गुरु रविदास जी द्वारा दिखाया गया 'बेगमपुरा' – भेदभाव रहित शहर – एक पवित्र प्रयास है, जो सदियों के अंधकार को मिटाने वाला संविधानिक दीपक है।
गुरु जी ने जात-पात और ऊंच-नीच के बंधनों को तोड़कर मानवता का मंत्र दिया और कामना की:
"ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न।
छोट बड़ो सब सम बसै, रविदास रहै प्रसन्न॥"
गुरु जी का सपना था एक ऐसा समाज जहां हर किसी को भोजन, वस्त्र और आवास मिल सके, और जहां किसी को नीचा दिखाकर कोई ऊपर न चढ़े। उन्होंने समान अवसर, जाति और नस्ल के भेदभाव से मुक्त समाज की कल्पना की थी।
आदि धर्म आंदोलन को आगे बढ़ाने में बाबू मंगू राम मुगोवालिया, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और बाबू कांशी राम जैसे महान नेताओं ने जीवन भर संघर्ष और त्याग किया।
संत हीरा ने कहा कि आदि धर्म लहर ने धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन की एक मजबूत नींव रखी, जिससे इंसाफ के रास्ते पर ठोस प्रगति हुई।
उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर, जो गुरु रविदास जी के समानता और समता के मार्गदर्शन से प्रेरित थे, उन्होंने संविधान में आरक्षण को केवल एक सुविधा नहीं बल्कि सामाजिक न्याय की धुरी के रूप में स्थान दिया।
सरकार द्वारा जारी विवरणिका (7वां संस्करण) इसी प्रतिबद्धता का विस्तृत दस्तावेज़ है, जिसमें भर्ती, पदोन्नति और शिक्षा में आरक्षण के प्रावधानों की रक्षा और दुरुपयोग की रोकथाम की रणनीति स्पष्ट की गई है।
संत हीरा ने स्पष्ट किया कि हर आदिवासी, हर मूलनिवासी को यह जानना चाहिए कि आरक्षण उनका अधिकार है, भीख नहीं।
उन्होंने कहा कि गुरु रविदास जी का 'बेगमपुरा' का सपना तभी साकार होगा जब हम शिक्षित, ज्ञानवान और जागरूक बनेंगे।
संत सतविंदर हीरा ने देश-विदेश में बसे सभी आदि धर्म अनुयायियों और बहुजन साथियों से अपील की कि
“आइए, हम सब मिलकर इस पवित्र सामाजिक यज्ञ में अपनी आहुति दें। यही सच्चा सत्संग है, यही आज का धर्म युद्ध है।”
इस अवसर पर अमरजीत गुरु, तरसेम कौर गुरु, देव लंगाह और संत बीबी पूनम हीरा भी उपस्थित रहे।
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