गौतम नगर, होशियारपुर में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया
होशियारपुर/दलजीत अज्नोहा
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से स्थानीय आश्रम गौतम नगर, होशियारपुर में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी राजविद्या भारती जी ने प्रवचन प्रस्तुत किए और सैकड़ों भक्तों ने श्रद्धाभाव से उनका श्रवण किया । साध्वी जी ने बताया कि सच्ची प्रार्थना और स्तुति भक्तों के आभूषण हैं, परंतु सांसारिक मनुष्य में इन्हें धारण करने की शक्ति कहाँ होती है? सामान्य तौर पर इंसान जब ईश्वर से बात करता है तो उसकी प्रार्थना मांगों की सूची के समान होती है । कभी वह भौतिक वस्तुओं के लिए भिक्षा मांगता है, कभी दैहिक सौन्दर्य के लिए, कभी पुत्र प्राप्ति के लिए, कभी व्यापार में लाभ के लिए, कभी शक्ति के लिए और कभी अपने मोह संबंधों की पूर्ति के लिए वह लगातार कुछ न कुछ मांगता ही रहता है । साध्वी जी ने कहा कि सोचिए, क्या केवल आपदा के समय ईश्वर को पुकारना ही प्रार्थना कहलाता है? क्या सुख के समय प्रभु को भूल जाना और दुख आते ही उनके आगे गिड़गिड़ाना प्रार्थना हो सकती है? एक सच्चा भक्त अपनी प्रार्थना में प्रभु को ही मांगता है क्योंकि वह जानता है कि उसके जीवन का लक्ष्य प्रभु का दर्शन है, इसलिए वह प्रभु प्राप्ति के लिए ही प्रतिदिन प्रार्थना करता है और ऐसी ही प्रार्थना हम सबकी होनी चाहिए । संत महापुरुष बताते हैं कि जैसे शरीर के लिए अन्न आवश्यक है, वैसे ही आत्मा के लिए प्रार्थना अनिवार्य है । बल्कि, आत्मा के लिए प्रार्थना शरीर के अन्न से भी अधिक आवश्यक है क्योंकि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कभी-कभी निराहार रहना संभव है, पर प्रार्थना का उपवास कभी नहीं हो सकता । प्रार्थना प्रतिदिन जरूरी है । इसलिए मनुष्य सच्ची प्रार्थना तभी कर पाता है जब उसका ईश्वर से मिलन हो जाता है और आत्मा परमात्मा से जुड़ती है । तब उसके भीतर से सच्ची प्रार्थना जागती है और इस मिलन के लिए जीवन में एक पूर्ण सद्गुरु की आवश्यकता होती है ।

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