वास्तु में रंगों महत्वपूर्ण स्थान होता हैं_डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री
होशियारपुर/दलजीत अजनोहा
रंग हमारे जीवन को रंगीन और रंगहीन बनाने की क्षमता रखते हैं। हर व्यक्ति को एक विशेष प्रकार का रंग पसंद होता हैं, ओर अपनी पसंद के आधार पर घर में अलग अलग रंग से दिवारे तैयार करवाते हैं कहीं कहीं तो यह रंग हानिकारक हो जाता हैं और कही कही पर तारण हार बन जाता है। ऐसा मानना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवम लेखक डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का। खासकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए लाल रंग की प्रधानता होने से स्वभाव में गुस्सा व एकाग्रता में कमी आ जाती है अतः घर के ईशान कोण ओर उतर दिशा में लाल रंग नहीं करे।
परीक्षा परिणाम में सुधार हेतु घर में देव गुरु बृहस्पति के शुभ प्रभाव अति आवश्यक माने गए हैंइसके लिए भवन की ईशान ईकाई में किसी प्रकार का कोई आंतरिक या बाहरी वास्तु दोष नहीं होना चाहिए। अगर कोई ईशान में आंतरिक या बाहरी वास्तु दोष है तो सर्वप्रथम तो उसे हटाने का प्रयास करें, नहीं हट रहा है तो हल्के नीले रंग का प्रयोग करें। विद्यार्थी वर्ग के लिए अध्ययन कक्ष ईशान कोण उतर दिशा या पूर्व दिशा में बनाना चाहिए
कक्ष की उतरी दीवार पूर्वी दीवार और ईशान कोण में सफेद या क्रीम रंग होना चाहिए।अध्ययन कक्ष में लाल काला और पिंक रंग नहीं होना चाहिए।
अध्ययन कक्ष में उतर पूर्व व ईशान में किसी प्रकार की कोई अलमारी या भारी सामान नहीं रखना चाहिए।अध्ययन कक्ष में शौचलय नहीं होना चाहिए न ही अध्ययन कक्ष की दीवार से छटाकर।विद्या अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को शयन करते समय सर हमेशा पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए अगर पूर्व में व्यवस्था न हो सके तो दक्षिण दिशा उत्तम है।अध्ययन कक्ष में किसी भी प्रकार का कबाड़ या अनावश्यक सामग्री एकत्र नही करे। स्टडी टेबल के आस पास दर्पण भी नहीं होना चाहिए। ईशान कोण दूषित है तो वहां से सुख शांति समृद्धि मान सम्मान यश कीर्ति ख्याति लक्ष्मी जी आदि का पलायन होना आम बात सी हो जाती है। अतः भवन निर्माण में रंगों का चयन भी वास्तु के अनुरूप ही करें।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें