मोबाइल की बढ़ती लत से बच्चों पर असर, सुर संगम ट्रस्ट ने शुरू की अनोखी पहल: बलजिंदर मान ने सराहा प्रयास
होशियारपुर/दलजीत अजनोहा
मोबाइल फोन सुविधा को मूलतः संचार की जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित किया गया था, लेकिन समय के साथ यह हर आयु वर्ग की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन गया है। चाहे घरेलू कार्य हो, दफ्तर का काम हो, बच्चों की पढ़ाई हो या अन्य गतिविधियाँ—अब हर कार्य के लिए लोग मोबाइल फोन पर ही निर्भर हो चुके हैं।
इस डिजिटल निर्भरता का सबसे बड़ा प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार मोबाइल के संपर्क में रहने से बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो रहे हैं।
इसी समस्या को देखते हुए सुर संगम ट्रस्ट ने समाज में एक सकारात्मक हस्तक्षेप की शुरुआत की है। निकियां करूंबला के नेतृत्व में ट्रस्ट ने बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार ज्ञानवर्धक किताबें वितरित करने का कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम अनोखा इस मायने में भी है कि किताबें पहले शिक्षकों को दी जाती हैं, ताकि वे पहले स्वयं अध्ययन करें और फिर बच्चों को उनकी भाषा व स्तर के अनुसार समझा सकें।
इस पहल के बारे में वरिष्ठ लेखक, बुद्धिजीवी एवं शिक्षा शास्त्री बलजिंदर मान से विशेष बातचीत की गई। उन्होंने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा, "आज के समय में बच्चों को मोबाइल की दुनिया से बाहर निकालकर उन्हें पुस्तक संस्कृति से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। सुर संगम ट्रस्ट का यह कदम निश्चित रूप से एक मिसाल कायम करेगा।"
स्थानीय समाजसेवियों और शिक्षाविदों ने भी इस पहल का समर्थन करते हुए इसे समय की मांग बताया है।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें