ब्रिटिश सेना में इतिहास रचा, मेजर मुनीश और कैप्टन हरप्रीत चौहान बने पहले भारतीय दंपति जिन्हे कमीशन मिला
लंदन / नई दिल्ली/ दलजीत अजनोहा
ब्रिटेन में बसे भारतीय समुदाय के लिए यह गर्व और प्रेरणा का क्षण है। मेजर मुनीश चौहान और कैप्टन हरप्रीत चौहान ने ब्रिटिश आर्मी में कमीशन प्राप्त करके इतिहास रच दिया है। बह कमीशन प्राप्त वाले पहले भारतीय दंपति है।दोनों अधिकारी मूल रूप से भारत से हैं और करीब 20 साल पहले बतौर सिपाही ब्रिटिश सेना में शामिल हुए थे। आज उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें उस मुकाम पर पहुंचाया है जहाँ वे हजारों भारतीयों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं।सिपाही से सर्जन तकः मेजर मुनीश चौहान
मुनीश ने सेना में 18 साल पहले एक जूनियर सैनिक के रूप में शुरुआत की। लगातार पढ़ाई और सेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें मेडिकल फील्ड की ओर ले जाया। आज वे ब्रिटिश आर्मी में कार्यरत एकमात्र भारत में जन्मे सर्जन हैं।
उन्होंने कहाः
"लीडर बनना सिर्फ रैंक या पद की बात नहीं है, बल्कि दूसरों को साथ लेकर आगे बढ़ने की सोच है। मेरीयात्रा एक सैनिक से सर्जन बनने तक यही दिखाती है कि अगर मन में विश्वास हो. तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।""मैं चाहता हूँ कि मेरी कहानी हर उस युवा तक पहुँचे जो बड़े सपने देखता है। सीमाएं केवल नक्शों पर होती हैं, मेहनत से हर सपने को हकीकत में बदला जा सकता है।"
ICU नर्स से कप्तानः कैप्टन हरप्रीत चौहान
हरप्रीत ने 17 साल पहले सैनिक के रूप में ब्रिटिश सेना में जॉइन किया। उन्होंने मेडिकल फील्ड में अपना करियर चुना और एक ICU स्पेशलिस्ट नर्स के तौर पर सेवाएं दीं। अपनी काबिलियत के बल पर उन्होंने हाल ही में कैप्टन रैंक प्राप्त की।
उनका कहना हैः
"एक महिला और प्रवासी के रूप में रास्ता आसान नहीं था, लेकिन हर चुनौती ने मुझे और मजबूत बनाया। आज जब मैं एक ऑफिसर बनी हूँ, ये सिर्फ मेरी नहीं, उन सभी लड़कियों की जीत है जो खुद पर विश्वास रखती हैं।""लीडरशिप का मतलब है जिम्मेदारी, संवेदनशीलता और साहस। हम सिर्फ ब्रिटिश आर्मी का हिस्सा नहीं हैं. बल्कि भारत की संस्कृति और आत्मा को भी साथ लेकर चलते हैं।"अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा यह कहानी सिर्फ एक दंपति की सफलता नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी के लिए दिशा है। यह दिखाती है कि प्रतिबद्धता और मेहनत से कुछ भी संभव है. चाहे आप कहीं से भी आते हों।"अपने मूल्यों को मत भूलो, बड़े सपने देखो, और यह याद रखो के काबिलियत की कोई सीमा नहीं होती।"
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